चौक चौराहा और मंदिर
हे हनुमान, आप भगवान् भी अब भू माफिया से कम नहीं । हर चौक-चौराहे डेरा डाले बैठे हो ।और बाकी देवगणों को पञ्च सितारा मंदिर में बैठे देख क्या तुम्हारी भी लालसा नहीं जागती कि अपना भी एक बहुमंजिली स्थल हो ?
Labels: व्यंग्य (Satire), समाज (Society)

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