Saturday, June 22, 2013

Intellectual और Secular

कुछ शब्दों की उत्पत्ति और उनका आगे का प्रयोग तो सकारात्मक प्रयोजन के तहत हुआ था, परन्तु शनैः शनैः उनके अर्थ बदलने लग गए और कुछ हद तक नकाराक्त्मक बन गए । अधिकारिक तौर पर उनका अर्थ आज भी सकारात्मक है, परन्तु प्रयोग इसके विपरीत है ।

उदाहरण तौर पर 'लाट साहब' और 'lecture' । मैने आज तक किसी सज्जन को स्पष्ट तौर पर 'लाट साहब' कहलाते नहीं सुना । "ये है न लाट साहब हमारे" और दर्जनों कई ऐसे ताने मारे जाने वाले वाक्य है जो लाट साहब मूलार्थ के लगभग विपरीत है । 'लेक्चर' शब्द भी लेक्चरबाजी और घुड़कियों तक सिमट कर रह गया है, जैसे 'अब ज्यादा लेक्चर मत झाड़ो', 'छोटी सी बात पर इतना लम्बा लेक्चर पिला दिया' इत्यादि ।

उपरोक्त भूमिका सिर्फ दो शब्द के परिचय मात्र के लिए लिखी गयी है जिन्होंने हाल में हि अपनी प्रविष्टि दर्ज करायी है - 'intellectual' और 'secularism' ! फेसबुक के विभिन्न चर्चाओं और मुद्दों पर हो रही चिल्लपों को देखकर intellectual शब्द अब मज़ाक सा लगता है और secularist गाली।

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