आडवाणी जी की पद लोलुपता
मुझे अडवानी जी को भीष्म कहे जाने पर आपत्ति है । सत्ता-लोलुप और महत्वकांक्षी ध्रितराष्ट्र हुए थे, परन्तु वह भी अगाध पुत्र मोह में। दुर्योधन अड़ियल तथा हठी अवश्य था, परन्तु पराक्रमी भी । दुह्शासन भी आखिर शकुनि की सुनता था । कर्ण की संज्ञा भी व्यर्थ है क्युकी वह कुर्सी भी दान कर सकता था । अश्वत्थामा कि तरह चिरंजीवी भी नहीं जो 85 कि उम्र में प्रधानमंत्री का दुह्स्वप्न देखे ।
कुल मिलाकर भाजपा एक महाभारत जरूर है, परन्तु अडवानी का पात्र शिवपुराण से उद्धवित है जिसमे भस्मासुर नाम का एक दैत्य था ।
आप कृपया अपना इस्तीफ़ा वापस न ले। सन्यास आप 2009 में भी ले चुके थे - इसलिए डर लगता है |
कुल मिलाकर भाजपा एक महाभारत जरूर है, परन्तु अडवानी का पात्र शिवपुराण से उद्धवित है जिसमे भस्मासुर नाम का एक दैत्य था ।
आप कृपया अपना इस्तीफ़ा वापस न ले। सन्यास आप 2009 में भी ले चुके थे - इसलिए डर लगता है |
Labels: राजनीति (Politics)

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