बेचारा मुस्सद्दीलाल !
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| ऑफिस ऑफिस ! |
मार्च - यह कहकर लौटाते रहे की फाइनेंसियल इयर का क्लोजिंग है, काम का प्रेशर है, अलाना है फलाना है - अरे भाई, परीक्षा के दिन उसी छात्र का किताब खुलता है जिसने साल भर पढ़ा न हो | तुम करमघट्टूओं का पूरा बहीखाता इसी माह खुलता है क्या ?
मई - 'दो महिना से काम रुका हुआ था, इसलिए 'पेंडिंग' काम का प्रेशर फिर से है' | मतलब हम आप खेलते रहिए ऑफिस-ऑफिस !
सन्दर्भ : मार्च के बाद अप्रैल महीने में चुनाव
Labels: व्यंग्य (Satire), समाज (Society)


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