Friday, April 18, 2014

बेचारा मुस्सद्दीलाल !

ऑफिस ऑफिस !


मार्च - यह कहकर लौटाते रहे की फाइनेंसियल इयर का क्लोजिंग है, काम का प्रेशर है, अलाना है फलाना है - अरे भाई, परीक्षा के दिन उसी छात्र का किताब खुलता है जिसने साल भर पढ़ा न हो | तुम करमघट्टूओं का पूरा बहीखाता इसी माह खुलता है क्या ?

अप्रैल - बड़ा बाबु यह कहकर मुह बाए रहेंगे कि इलेक्शन को लेकर आधा ऑफिस खाली है - अरे भाई, यही तो मौका का घूस का रकम अकेले हजम करने का | निठ्ठले तो तुम उस वक़्त भी ठहरे जब पूरा दफ्तर भरा हो |

मई - 'दो महिना से काम रुका हुआ था, इसलिए 'पेंडिंग' काम का प्रेशर फिर से है' | मतलब हम आप खेलते रहिए ऑफिस-ऑफिस !




सन्दर्भ : मार्च के बाद अप्रैल महीने में चुनाव 

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